हमारा कानून या कानून की
समझ
स्वतंत्रता
के लिए संघर्ष कर रहें सभी राष्ट्रवादी लोग इस बात पर एक मत थे की स्वतंत्रता के
पश्चात पुरे देश में एक समान कानून लागू होना चाहिए! इस लिए हमारे सविंधान
में कई प्रावधान दिए गए है जिससे पुरे देश में कानून का राज स्थापित किया जा सकें!
हमारे कानून में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर जनता के साथ
भेदभाव नहीं किया जाता! कानून की नजर में सभी लोग
समान होते है और हमारा कानून सभी पर बराबर से लागू होता है कानून से उपर कोंई नहीं
होता चाहे वह सरकार हो या साधारण नागरिक! कानून के राज में एक अपराध की सभी के समान
सजा और एक निश्चित प्रकिया होती है जो सभी पर समान रूप से लागू होती है! पुराने
जमाने में कानून को अलग – 2 तरह से प्रयोग किया जाता था जैसे अमीर और गरीब की सजा
भी एक अपराध के लिए अलग – 2 होती थी! परन्तु अंग्रेजों के शासन में यह अंतर कम हुआ
और कानून के राज की स्थापना का प्रारम्भ हुआ!
हमारा कानून |
हमारे
देश में कानून की स्थापना अंग्रेजों न की या राष्ट्रवादी लोगों के दबाव में, यह बहस मुद्दा हो सकता है 1870 का राजद्रोह
एक्ट अंग्रेजों के मनमाने शासन का नतीजा था जिसमे आलोचना या विरोध करने पर ही जेल
में डाल किया जाता था परन्तु राष्ट्रवादी लोगों ने समानता का संघर्ष शुरू किया
जाता है
19वीं
सदी के अंत तक भारत में भी कानून की समझ का विस्तार हुआ और कानूनों के जानकर लोगों
ने समानता के अधिकार की मांग रखी, कानूनों के जानकर भी अपने अधिकारों की रक्षा
करने लगे और न्यायालयों में भी भारतीयों की भूमिका का विस्तार हुआ!
कानून बनाना – कानून बनाने का
अधिकार हमारी संसद के पास है जिसमे हमारे चुने हुए प्रतिनिधि समाज की आवश्कता
के अनुसार कानून का निर्माण करते है जैसे घरेलू हिंसा या दहेज उत्पीड़न आदि! और
लोगों द्वारा अप्रिय कानूनों का विरोध भी किया जाता है सभा और अखबारों में लेख भी
लिखे जा सकते है
No comments:
Post a Comment