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10/09/2015

स्फीति का आर्थिक विकास में महत्व Inflation role in Economic Development

स्फीति का आर्थिक विकास में महत्व ( भूमिका ) Inflation role in Economic Development


स्फीति का महत्व importance of inflation 

ü  अल्पविकसित देशों में आर्थिक, सामाजिक और संरचनात्मक बाधाएं होती है इसी लिए विकास के लिए निजी निवेश नहीं आगे आता, इन्हीं बाधाओं को दूर करने और निजी निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार को घाटे के बजट या स्फीति उपायों को अपनाया जाता है!

ü  अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओं में बुनियादी ढ़ाचे का आभाव होता है जैसे सड़क, रेल, बिजली, स्कूल और हस्पतालों आदि, इन सुविधाओं के आभाव में निजी निवेश कभी नहीं हो पाता, सरकार इन सभी आवश्यक सुविधाओं का निर्माण घाटे के बजट या स्फीति उपायों से ही कर सकती है!

ü  जब कोंई अर्थव्यवस्था घाटे के बजट या स्फीति उपायों को अपनाती है तो वह संसाधनो का हस्तांतरण करके स्वंय प्रयोग करती है विकास कार्यो से जब रोजगार – उत्पादन – आय में वृद्धि होती है तो समस्त उपभोग मांग में वृद्धि होती है लेकिन कमज़ोर आपूर्ति के कारण कीमतों में वृद्धि होता है इससे बचतों में भी वृद्धि होती है और यह पूजीं के निर्माण में भी सहायक हो सकती है

स्फीति और आर्थिक विकास inflation or economic development
स्फीति और आर्थिक विकास inflation or economic development



स्फीति की प्रतिकूल भूमिका Adverse role of Inflation

ü  विकास पर संकट – जब सरकार स्फीति उपायों को विकास के लिए अपनाती है तो एक समय के लिए तो यह सही है लेकिन लगातार इनके अपनाने से विकास पर संकट बन जाता है और यही स्फीति कई बार अति-स्फीति बन जाती है जो अर्थव्यवस्था और समाज, दोनों के लिए भी खतरनाक होती है क्योंकि सरकार द्वारा प्रायोजित कामों में लगे लोगों की आय बढ़ती है और उनकी उपभोग मांग में वृद्धि होती है! इस प्रकार के तरीकों से पूजीं की लागत भी बढ़ जाती है और जारी और नई  परियोजनाओं की दीर्घकालीन लागत में वृद्धि होती है!

ü  भुगतान शेष - स्फीति उपायों से अर्थव्यवस्था में आय बढ़ती है तो आयातों में वृद्धि होती है परन्तु निर्यात में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाती, जिससे भुगतान-शेष की समस्या पैदा हो जाती है!

ü  बाजार अपूर्णता – अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओं के बाजार पूर्ण रूप से विकसित नहीं होते है सभी संसाधनों और उनकी गतिशीलता में अंतर पाया जाता है साथ ही, ऊँची मांग और निम्न आपूर्ति के कारण अति-स्फीति का खतरा पैदा हो जाता है!

ü  स्फीति बचतों को कम करती है ऊँची कीमतों के कारण लोग अपनी पुरानी बचत दरों को कायम नहीं रख पाते, स्फीति के कारण वास्तविक आय में कमी हो जाती है!

ü  निजी निवेश रोकना – प्रारंभिक स्तर पर स्फीति निजी निवेश को बढ़ाती है क्योंकि लागत की अपेक्षा लाभ अधिक तेजी से बढ़ते है परन्तु एक स्तर के बाद, कीमतों में होने वाली निरंतर वृद्धि से निजी निवेश की लागत ( पूँजी की लागत ) बढ़ जाती है और निवेश में कमी होती है!

ü  स्फीति के कारण समाज को हानि होती है क्योंकि इससे जनसाधारण को लाभ की अपेक्षा हानि अधिक होती है इससे समाज में धन के वितरण की असमानता भी बढ़ती है जो जनसाधारण की अपेक्षा उधमी के पक्ष में अधिक होता है!