न्यायपालिका हमारी
न्यायपालिका हमारी अदालतें
न्यायपालिका
एक प्रकार की व्यवस्था होती है जो सभी के लिए समान कानून लागू करने में अहम भूमिका
अदा करती है न्यायपालिका भारतीय संविधान या लोकतंत्र की व्यवस्था बनाए रखने में
अहम भूमिका अदा करता है! न्याय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बहुत सारी अदालतें
होती है जहाँ पर नागरिक न्याय पाने के लिए जा सकता है! न्यायपालिका का स्वतंत्र
होना ही इसके महत्व को बताता है अर्थात् हमारे देश में एक स्वतंत्र न्याय व्यवस्था
है! न्यायपालिका के कामों कों निम्न भागों में बाँटा जा सकता है जैसे –
हमारी न्यायपालिका |
· विवादों का हल – देश के
नागरिकों और विभिन्न राज्यों की सरकारों या केंद्र सरकार के विवादों का हल करना !
· न्यायिक समीक्षा – संविधान
की व्याख्या का मुख्य अधिकार न्यायपालिका के पास है यदि न्याय पालिका को लगता है
की संसद द्वारा बनाया गया कानून संविधान का उल्लंघन है तो न्यायपालिका उस कानून को
रद्द क्र सकती है!
· कानून की रक्षा करना और
नागरिकों के मोलिक अधिकारों की रक्षा करना
स्वतंत्र न्यायपालिका – किसी भी देश में न्याय व्यवस्था का स्वतंत्र होना अति
आवश्यक होता है एक स्वतंत्र न्याय पालिका ही देश में समान कानून व्यवस्था और सभी
के लिए समान न्याय की व्यवस्था क्र सकता है! उदाहरण के लिए यदि हम यह मान लेते है
की आप की जमीन पर कोंई व्यक्ति कब्ज़ा कर लेता है और उसी का जानकर यदि न्याय करने
वाला है तो वह अपने जानकर का ही बचाव करेगा तथा उसका निर्णय आप के विरोध में होगा
! परन्तु यह सही न्याय नहीं है इसीलिए न्याय व्यवस्था का स्वतंत्र होना अति आवश्यक
है ताकि सभी के लिए समान न्याय की व्यवस्था की जा सकें और नागरिकों के अधिकारों की
रक्षा की जा सकें!
भारत में
अदालतों की ढ़ाचा – हमारे देश में अदालतें तीन स्तरों पर काम करती है जिला
अदालतें जो निचलें स्तरों पर काम करती है और प्रत्येक जिले के साथ होती है दूसरा
स्तर – प्रत्येक राज्य कई जिलों में बट्टा होता है इसीलिए प्रत्येक राज्य का
एक उच्च न्यायालय होता है जो राज्य स्तर पर सबसे उच्च होता है तीसरा स्तर –
इन सभी उच्च न्यायालयों के उपर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है यह देश की सबसे बड़ी
अदालत होती है और इसका फसला सभी अदालते पर समान रूप से लागू होता है यह दिल्ली में
स्थित है और मुख्य न्यायाधीश इसका मुखिया होता है! हमारी सभी अदालतें एक दूसरे से
जुड़ी हुई है और कोंई भी नागरिक यदि निचली अदालत के फ़ैसले से सहमत नहीं है वह उच्च
अदालत में अपील कर सकता है सभी व्यक्ति समान रूप से न्यायालय की शरण में जा सकते
है!