हमारी अपराधिक न्याय प्रणाली
हम सभी
जानते है की कोंई भी अपराध होने पर पुलिस कई लोगों को गिरफ्तार करती है तो ऐसा
लगता है की मानों पुलिस ही न्याय करती है परन्तु ऐसा नहीं है गिरफ्तार होने के बाद
अदालत तय करती है की आरोपी दोषी है की नहीं ! निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार भी सभी
नागरिकों को होता है!
हमारी न्याय प्रणाली |
ü पुलिस की भूमिका – अपराध की जाँच में पुलिस
एक महत्वपूर्ण अंग होती है किसी भी शिकायत की जाँच करना – गवाहों के बयान – सबूत
इकट्ठा करना और फिर अदालत में आरोपपत्र/चार्जशीट दाखिल करना! पुलिस हमेशा से ही कानून के अंदर काम करती है और गिरफ्तारी,
हिरासत और पूछताछ के लिए सर्वोच्च न्यायालय के नियमों का पालन करती है संविधान में
यह जानने का हक है की -
· गिरफ्तारी का कारण क्या है
· गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना
· गिरफ्तारी के बाद दिया गया
बयान सबूत नहीं हो सकता
· गिरफ्तारी पर
यातना/दुर्व्यवहार से बचने का अधिकार
· किसी महिला या बच्चे (15 साल
से कम) को केवल सवाल पूछने के लिए नहीं लाया जा सकता
ü सरकारी वकील की भूमिका – किसी भी अपराध को केवल पीड़ित के विरुद्ध नहीं बल्कि पुरे
समाज के विरुद्ध माना जाता है और समाज में शांति हो यह राज्य का काम होता है इस
लिए राज्य सरकारी वकील उपलब्ध करता है ताकि सभी सबूत और गवाह सही से पेश किए जा
सकें और न्यायालय सही फैसला दे सकें !
ü न्यायाधीश की भूमिका – न्यायाधीश की भूमिका निष्पक्ष होती है और वह दोनों तरफ
के बयान और दलीलें सुनने के बाद ही फैसला करता है की आरोपी दोषी है या नहीं !
निष्पक्ष सुनवाई से अभिप्राय सभी को अपना पक्ष रखने का पूरा – 2 समय दिया जा सकें
और सभी सबूतों के आधार पर सही फैसला लेना ताकि न्याय हो!