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टीका और टीकाकरण –
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किसी रोग के कमजोर या मृत
प्रति की दवाईयों को टीका कहते है, दवाई के शरीर में प्रवेश करने से हमारी श्वेत
रक्त कोशिकाऐ प्रति रक्षी बना कर हमारे शरीर को सुरक्षित रखते है कृत्रिम तरीके से दवाई का शरीर में प्रवेश
कराना ही टीकाकरण कहलाता है ऐडवर्ड जेनर 1798 ई. में टीकाकरण को विकसित किया!
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प्रतिरक्षी –
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कुछ सूक्ष्म जीवों के द्वारा इस प्रकार की क्रिया की जाती है जिनसे
हमारे शरीर को रोग से लड़ने की ताकत मिलती है प्रतिरक्षी में विशेष प्रकार का
प्रोतिजन होता है ये प्रतिरक्षी रोगाणुओ के साथ प्रति क्रिया करते है
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प्रतिरोध क्षमता –
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शरीर को रोगों से बचाने की
क्षमता ही प्रतिरोध क्षमता कहलाती है यह क्षमता ही रोग फलाने वाले जीवाणु, विषाणु
और अन्य रोगों से हमारे शरीर की सुरक्षा करते है
साइनो जीवाणु कोशिका |
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डायटम –
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ये सूक्ष्म
जीव एक कोशिका शैवाल होते है ये समुंद्र और ताजे पानी, दोनों में पाया जाता है, ये
अकेले – 2 कोशिकाओ या समूह में भी हो सकते है! ये लैगिक और अलैगिक दोनों प्रकार से
जनन करते है
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साइनो जीवाणु कोशिका –
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इसकी चार परतो वाली कोशिका
भित्ति होती है, इसके अन्दर प्लाज्मा झिल्ली की परत का आवरण होता है जिसके अन्दर
साइटो – प्लाज्मा होता है