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25/09/2015

भारतीय संविधान indian constitution

भारतीय संविधान

आज जिस आजाद संसार में हम साँस ले रहें है वहा पर कुछ समय पहले तक कुछ चुनिंदा देशों का ही शासन होता था और ये कुछ देश ही संसार पर राज करते थे और अपने द्वारा बनाए गए कानूनों के थोपते थे परन्तु आज दुनिया का सभी देश आजाद है और उनके पास उन्हीं के द्वारा बनाया गया कानून है आज दुनिया के सभी देशों का अपना संविधान है परन्तु वे लोकतांत्रिक है ये नहीं कहा जा सकता!


भारतीय संविधान indian constitution
भारतीय संविधान indian constitution

संविधान है क्या और यह किस उदेश्य (महत्व) के लिए बनाया जाता है – यह एक आदर्शो की एक सांझी सहमती होती है जो पुरे देश पर एक समान लागू होती है! ये वे आदर्शो होते है जिस प्रकार का देश की जनता अपने देश को बनाना चाहतीं है यह समाज के ताने-बाने या ढ़ाचे का मूल स्वरूप होता है किसी भी देश के अंदर विभिन्न समुदाय – विभिन्न धर्म – विभिन्न भाषा हो सकती है या होती है जिनमें कुछ समानता और कुछ असमानता होती है इसीलिए संविधान एक इस प्रकार की विधि होती है जो सभी को एक समान चलने को प्रेरित करती है!

लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम अपने नेता को खुद या स्वयं चुनते है ताकि वे जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से पूरा कर सके! फिर भी कुछ लोग इन शक्तियों का गलत प्रयोग करते है जिससे समाज को काफी नुकसान होता है परन्तु हमारे संविधान में इनसे निपटने के लिए भी व्यवस्था की गई है जिन्हें हम मोलिक अधिकार कहते है समानता का अधिकार भी इसी के अंदर आता है जिसमेँ जन्म – जाति – धर्म – भाषा आदि के आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता है बहुसंख्यक द्वारा अल्पसंख्यक को दबानें की स्थिति में भी संविधान इस निरंकुशता का समाधान करता है

संविधान हमे इस प्रकार के निर्णय लेने से रोकता है जिसके कारण संविधान के आधार-भूत ढ़ाचे को नुकसान होता हो, जो कई प्रकार की आछी या घटियाँ किस्म की राजनीति के कारण होता है


संविधान के लक्षण – 

जिस देश में विभिन्न समुदाय – विभिन्न धर्म – विभिन्न भाषा आदि हो वहा पर कोंई एक आदमी सभी के लिए संविधान का निर्माण नहीं कर सकता! 1946 में लगभग 250 – 300 लोगों से मिलकर एक संविधान सभा का गठन किया गया जिन्होंने आगे चलकर हमारे संविधान का निर्माण किया!

ü  संघवाद – इस से अभी-प्राय देश में एक से ज्यादा स्तरों पर सरकारों का होना है ताकि कुछ लोग पुरे देश के बारे में फैसला न ले सकें, इसीलिए केंद्र सरकार – राज्य सरकार – पंचायत राज की व्यवस्था की गई है सभी को अलग – 2 अधिकार और दायित्व दिए गए है सभी की सहमती से फैसला लिया जा सकें

ü  संसदीय प्रणाली – इस के अंतर्गत लोग अपनी वोट देकर सरकार का चयन करते है और सभी को समान रूप से वोट देने का अधिकार है अर्थात जन्म – जाति – धर्म – भाषा आदि के आधार पर अंतर नहीं कोई भी है

ü  शक्तियों का वितरण – किसी भी शासन व्यवस्था को तीन भागों में बांटा जा सकता है जैसे – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका! संविधान में इन तीनों की शक्तियों का वितरण किया गया है ताकि भविष्य के टकराव को रोंका जा सकें! कार्यपालिका – शासन चलाना और कानूनों को लागू करना, विधायिका – लोगों द्वारा चुने प्रतिनिधि जो सरकार चलते है, न्यायपालिका – जो न्याय की व्यवस्था बिना किसी भेदभाव के समान रूप से सभी के लिए करती है!

ü  मोलिक अधिकार – ये वे अधिकार है जो जनता को राज्य या विधायिका के मन मानेपन या निरंकुशता से बचते है ये अधिकार अल्पसंख्यक के लिए भी हो सकते है या आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए भी या महिलाओं और बच्चों के लिए भी! इसमें नीति - निर्देशक तत्वों को भी जोड़ा गया है ताकि भविष्य में सामाजिक सुधारों को बढ़ाया जा सकें और मार्गदर्शक के रूप में इनका विस्तार किया जा सकें!


ü  धर्मनिरपेक्ष – किसी भी देश के संविधान का धर्मनिरपेक्ष होना अति-आवश्यक होता है अर्थात किसी एक धर्म को बढ़ावा नहीं देगी और सभी को समानता से देखा जाएगा!