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16/11/2015

धर्मनिरपेक्षता secularism

धर्मनिरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता से हमारा अभिप्राय राज्य द्वारा किसी भी धर्म को प्रोत्साहन न देना है, यह राज्य का दायित्व होता है की वह सभी को समान समझें और सभी को समान अधिकार दें! लेकिन पूर्व में और वर्तमान में भी बहुत से उदहारण मिलते है जब बहुसंख्यक ने अल्पसंख्यक को दबाया और अपनी निरंकुशता से उन्हें अपने विचार व्यक्त नहीं करने दिया गया!

धर्मनिरपेक्षता secularism
धर्मनिरपेक्षता secularism

धर्मनिरपेक्षता के अंतर्गत अभी को अपने विचार व्यक्त करने और अपनी धार्मिक मान्यताओं तथा तोर – तरीकों को अपनाने की पूरी आजादी देता है ताकि सभी अपने रीति-रिवाजों को स्वतंत्रता के साथ मना सकें! भारतीय संविधान में सभी को आजादी से जीने और अपनी स्वतंत्रता बनाए रखना का पूरा अधिकार दिया गया है! भारत के संविधान के अनुसार राज्य सरकार किसी भी धर्म को अधिक बढ़ावा नहीं देगी और समाज के सभी वर्गो को उनकी मान्यताओं को मानने का पूरा अधिकार देगी,

धर्म और राज्य अलग – 2 क्यों होने चहिए

धर्म और राज्य दोनों ही अलग – 2 विषय है क्योंकि लोगों को अपनी अलग – 2 धार्मिक पहचान बनाने का पूरा अधिकार है और राज्य सरकार इसमें कोंई हस्तक्षेप नहीं करेगीं, इसका अर्थ यह है की लोग कोंई भी धर्म अपना सकतें है और एक धर्म को छोड़कर कोई दूसरा धर्म भी अपना सकता है और धर्म को अलग ढंग से व्याख्या करने की स्वतन्त्र होता है धर्मनिरपेक्षता के अंदर निम्न बातोँ का ध्यान रखना होता है जैसे –

ü  एक धर्म को मानने वाले दूसरे धर्म के साथ जोर – जबरदस्ती नहीं करेगें
ü  एक ही धर्म के अंदर भी विभिन्न मान्यताओं के लोग हो सकते है जो एक दूसरे को दबाएँ नहीं जैसे – ऊँची जीति द्वारा निचली जाति को दबाना आदि
ü  राज्य सरकार किसी भी एक धर्म को बढ़ावा नहीं देगी और दूसरों की स्वंत्रता का ख्याल रखेगीं