व्यापार चक्र Trade Cycles
किसी भी
अर्थव्यवस्था में व्यापार करने की परिस्थिति अलग – 2 होती है कभी तेजी और कभी मंदी
का वातावरण होता है इन्ही तेजी और मंदी के चक्रीय प्रभाव से कुल रोजगार, कुल आय,
कुल उत्पादन और विभिन्न कीमत स्तरों की तरंग की तरह उतार चढ़ाव आते रहते है जिनका
हमारी अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ता
है परन्तु ये एक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अभिन्न अंग होते है व्यापार के इन्हीं उतार
चढ़ाव को अर्थव्यवस्था की मंदी और तेजी कहा जाता है जब अच्छे व्यापार के समय में -
नए व्यापार आते है – कीमतों में वृद्धि होती रहती है – बेरोजगारी भी कम होती है
बुरे व्यापार चक्र में इनकें विपरीत परिस्थिति है!
व्यापार चक्र Trade Cycles |
व्यापार
चक्र - व्यापार चक्रों को उनकी समय सीमा के आधार पर कई भागों में बांटा जा सकता है
–
ü
अल्पकालीन चक्र – इसे लघु या अल्प या किचिन चक्र भी कहते है इसकी अवधि 30 –
40 महीनें होती है जोसेफ किचिन (UK) ने इसकी खोज की और अल्प और
दीर्घ व्यापार चक्र के बीच अंतर भी स्थापित किया, दीर्घ व्यापार चक्र अल्प चक्र से
दो से तीन गुणा बड़ा होता है
ü
दीर्घकालीन चक्र – इससे बड़ा व्यापार चक्र भी कहते है यह विभिन्न व्यापार
करने की परिस्थीतियो का उतार चढ़ाव है जो एक क्रमांक में चलती रहती है, इसे जुग्लर
(फ़्रांस) चक्र भी कहते है इसकी अवधि 9 – 10 वर्ष होती है
ü
अति-दीर्घकालीन चक्र – ये व्यापार की अति दीर्घ तरंगे होती है जो लगभग 45 – 50
वर्षो के करीब होती है जो 5 से 6 जुग्लर चक्र के बराबर होते है! इन्हें कोंद्रतिफ
(रुसी) चक्र भी कहते है
ü
कुजनेट्स चक्र – इन्होंने 16 से 22 वर्ष के दीर्घ - कालीन व्यापार चक्रो
का उलेख़ किया है इन्हीं के कारण 8 – 12 वर्ष के व्यापार चक्र का कम महत्व कर दिया
ü
भवन संबंधी – इसके अंतर्गत
भवन संबंधी चक्रो को रख जाता है जो की काफी हद तक नियमित होते है और इनकी अवधि
लगभग 18 वर्ष मानी जाती है इनको वारेन और पियर्सन(US) खोजा था