विभिन्न प्रकार की फसल,
उत्पादन और प्रबंधन
ü खेत में पोधो को उगाना और
देखभाल करना – यह कृषि उत्पादन कहलाता है
ü धन कमाने के लिये जो फसल
उगाई जाती है, हम उसे नगदी फसल कहते है
ü फसल के अतिरिक्त, सब्जिया, फल और फूल भी उगाए जाते है इन्हे हम हॉर्टिकल्चर कहते है
ü पौधों की उचित वृद्धि के लिये जल, ऑक्सीजन, सूर्य का प्रकाश और पोषक तत्व आवश्यक है
ü कृषि उत्पादन में कुछ पद्धतियों का वैजानिक ढंग से उपयोग किया जाता है
विभिन्न प्रकार की फसल, उत्पादन और प्रबंधन |
ü भूमि को नर्म और समतल करना,
मिट्टी तैयार करना – जुताई कहलाता है ताकि जड़े आसानी से मिटटी में नीचे तक बढ़ती
रहे!
ü पौधों को समय पर पानी देना – सिचाई कहलाती है
ü सिचाई के अलग अलग माध्यम – कुयें, तालाब, झील, टुबल, नदियाँ और बाँध
ü सिचाई की आधुनिक विधि – छिडकाव और ड्रिप विधि
ü बीज दो तरीके से बोए जाते है – हाथ से और सीड – ड्रिल
ü पौध को तैयार कर फिर खेत में लगाने को रोपण विधि कहते है
ü ह्यूमस कार्बनिक पदार्थ से बनी मिटटी की ऊपरी परत होती है यह पौधों और पशुओं के अपशिस्ट पदार्थ से बनती है
ü खाद पौधों और पशुओं के अपशिस्ट पदार्थ से बनती है
ü उर्वरक एक रासायनिक मिश्रण होता है जिसमे पोटासियम, नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है
ü खाद और उर्वरक पौधों को ताकत देते है
ü फसल के साथ उगने वाले दूसरें पौधों को खरपतवार कहते है यह खरपतवार-नासी से दूर होता है
ü किट फसल को नुकसान करते है यहाँ पर किट-नासी का प्रयोग किया जाता है
ü ऋतुओँ के आधार पर फसल के दो वर्ग है रबी और खरीफ
ü रबी की फसल – गेहूं, चना,
मटर
खरीफ़ की फसल – धान एव
मक्का
ü दानों को भूसे से अलग करना – थ्रेसिंग कहते है
ü मिश्रित फसल में दो या तीन फसल एक साथ उगाई जाती है
ü गाय, भैस, पोल्ट्रीफार्म, मछली का पालन मास, अंडे और दूध के लिए कि जाता है
ü पालतू पशु को उचित देख भाल की आवश्कता होती है
ü फसल की कटाई कुछ उचित दिनों पर शुरु की जाती है जैसे पोंगल, वैसाखी, दीवाली और बीहू आदि