ü जीवाणुओं में द्विविखंडन
विधि से गुणन होता है
ü रोग पैदा करने वाले जीव –
रोगाणु या रोगवाहक होते है
ü रोगाणुओं से उत्पन्न विषैला
पदार्थ टाक्सिंन कहलाता है
ü शैवाल अपना भोजन प्रकाश –
संस्लेषण के माध्यम से बनाते है
ü शैवाल का उत्पादन अगार होता
है जो जीवाणु प्रवर्धन में मदद करते है
ü शैवाल पौधों जैसे होते है
जैसे मसरूम, सभी मसरूम खाने के लिए नहीं होती
रोग पैदा करने वाले जीव |
ü प्रोटोजोवा जानवर जैसे होते
है
ü विषाणु सूक्ष्मजीव सजीव और
निर्जीव की सीमा पर होते है
ü मछलियां मुख्य भोजन के लिये
कवक लेती है
ü एंटअमीबा कोनसा रोग फलते है
– अमीबा पेचिसी
ü त्वचा रोग रिंग – वारम कोन
फलता है – कवक
ü पौधों की जड़ो में ग्रंथियों
के रूप में नाइट्रोजन सिथ्रिकरण ( ठराव ) होते है जिन्हें राइजोबियम कहते है
ü कवक द्वारा गेहूँ के पौधों
में कोनसा रोग फैलता है – रस्ट
ü लेक्टोबेसिलस जीवाणु द्वारा
दही जमाई जीती है
ü विषाणुओं के संक्रमन द्वारा
ही जुकाम फलता है
ü अल्गजेंदर फ्लेमिग़ – 1929 में पेनसिलन की खोज की
ü सजीवों का वर्गीकरण उनकी
समान गुणों के आधार पर होता है
ü विभिन्न प्रकार के
प्रतिजीवी –
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पेनसिलन, टेट्रासाइकलिन, ग्रेमेंसीडीन,
स्टेपेट्रोमाईसिन