स्फीति Inflation
स्फीति –
अपने आप में एक विशाल शब्द है इसका तात्पर्य – मुद्रा की मात्रा को अत्यधिक बढ़ाने
के फलस्वरूप कीमतों में होने वाली तेज वृद्धि, यह समस्या अर्थव्यवस्था पर मोद्रिक
नियन्त्रण नहीं होने पर पैदा होती है और बाजारों को बहुत नुकसान पहुंचती है!
किसी भी
मंद अर्थव्यवस्था में ज्यों – 2 मुद्रा की आपूर्ति बढ़ाते है तो उत्पादन, रोजगार और
मांग में समान वृदि होती है परन्तु कुछ समय के बाद ये सभी समान रूप से वृद्धि नहीं
होती तथा अर्थव्यवस्था पर घटते प्रतिफल का नियम लागू होता है और समस्या के साथ
कीमतों में वृद्धि होने लगती है! यह एक मोद्रिक प्रक्रिया है जो उत्पादन की अपेक्षा
केवल मुद्रा में तेज वृद्धि से पैदा होती है!
Inflation is only be produced by increasing in the
quantity of money than output. other words, inflation is increasing the general price level of every goods or services, every units of currency buy less quantity of goods or services.
स्फीति Inflation |
स्फीति के प्रकार Types of Inflation
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रेंगती या मंद स्फीति (Creeping Inflation ) – जब कीमतों
में वृद्धि बहुत कम दर से होती है तो इसे मंद स्फीति कहते है कम से कम 3 - 4% वृद्धि को इसके अंतर्गत रखा जाता है यह स्फीति
किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अति आवश्यक है!
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चलती स्फीति ( Walking or Trotting Inflation
)– जब कीमतों में वृद्धि 4 – 6% तक होती है तो इसे चलती
स्फीति कहते है, या जब कीमत में वृद्धि 8-10% के मध्य होती है तो उसे चलती स्फीति
के अंतर्गत रखा जाता है यह किसी भी देश की सरकार के लिए एक अलार्म की तरह होती है
!
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दोड़ती स्फीति ( Running Inflation )– जब कीमतों में 10-20 % तक की वृद्धि प्रतिवर्ष होती है तो
इसे दोड़ती स्फीति कहते है! यह अर्थव्यवस्था के गगरीब और मध्य वर्ग के लिए बहुत ही
नुकसान दायक होती है जिसके लिए कई प्रकार के मोद्रिक और फिस्कल उपाय किए जाने की
आवश्यता होती है
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अति-स्फीति (Hyperinflation ) – जब कीमतों में प्रतिवर्ष 20 – 100 % तक वृद्धि होती हो,
तो उसे अति-स्फीति के अंतर्गत रखा जाता है, इसे भागती या दुरत स्फीति ( runaway or galloping
inflation )भी कहते है
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