समष्टि अर्थ-नीति के लक्ष्य
Aim of Macro Economic-Policy
समष्टि
अर्थशास्त्र के अंतर्गत हम सामूहिक चरो का अध्ययन करते है जैसे कुल रोजगार,
राष्टीय आय या उत्पादन, कुल निवेश और बचत, कुल मांग और आपूर्ति आदि! इन्ही सामूहिक
चरों के अध्ययन के कारण हम इसे सामूहिक अर्थशास्त्र या सामूहिक तरीके से
अर्थव्यवस्था का अध्ययन भी कहते है जो अर्थव्यवस्था में विभिन्न उतार – चढ़ाव का
अध्ययन भी करते है
समष्टि अर्थ-नीति Macro Economic-Policy |
समष्टि अर्थशास्त्र या समष्टि अर्थ-नीति के विभिन्न लक्ष्य या उदेश्य
होते है जैसे –
ü पूर्ण रोजगार ( full Employment ) – यह समष्टि अर्थशास्त्र या समष्टि अर्थ-नीति का एक प्रमुख
उदेश्य है यह एक भविष्य के उत्पादन की हानि और गरीबी का कारण होता है क्लासिकी
अर्थशास्त्री अर्थव्यवस्था में हमेशा ही पूर्ण रोजगार मानते है परन्तु एच्छिक या
मोसमी या संरचनात्मक बेरोजगारी हो सकती है केन्जं के अनुसार, अर्थव्यवस्था में
पूर्ण रोजगार से अभिप्राय – अनैच्छिक बेरोजगारी का आभाव!
अर्थात हर उस इंसान को कम मिले को काम करना चाहता है परन्तु घर्षणत्मक बेरोजगारी
हो सकती है यह 3 से 4% तक हो सकती है
ü कीमत स्तर (Price Stability ) – अर्थव्यवस्था के अंदर कीमत स्तरों का स्थिर
होना आवश्यक होता है कीमत स्तरों में उतार-चढ़ाव से अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता या
अस्थिरता पैदा होती है जो की कुछ को लाभ और कुछ को हानि होती है इसीलिए मुद्रा के
मूल्य को स्थिर रखना और चक्रीय उतार-चढ़ाव को कम करके अर्थव्यवस्था में स्थिरता
बनाना अति आवश्यक होता है
ü आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) - आर्थिक
वृद्धि करना किसी भी अर्थव्यवस्था का एक मुख्य उदेश्य होता है, आर्थिक वृद्धि के
अंतर्गत एक लम्बी अवधि में देश की प्रतिव्यक्ति वास्तविक आय में बढ़ोतरी होती है वस्तुओं
और सेवाओं के कुल उत्पादन में होने वाली कुल वृद्धि से किसी भी देश या अर्थव्यवस्था
की आर्थिक वृद्धि को मापा जा सकता है,
ü भुगतान शेष (Balance of Payment
) - भुगतान शेष में संतुलन बनाए रखना अति
आवश्यक हो गया है जिस प्रकार से विश्व व्यापार में वृद्धि हुई है उस समय में भुगतान
शेष बनाए रखना एक प्रमुख उदेश्य बन गया है भुगतान शेष से किसी भी देश की मुद्रा का
बाह्य बहाव बढ़ता है या सोने से भुगतान करना पड़ता है जिससे देश आर्थिक रूप से कमज़ोर
होता है!
No comments:
Post a Comment