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13/06/2015

science 8th class science प्लास्टिक गर्मियों के लिए सूती कपड़े प्राकृतिक

ü  प्लास्टिक यह एक बहुलक है जो दो प्रकार के होते है
·         थर्मो प्लास्टिक  - यह आसानी से मुड़ सकता है
-    गर्म करने पर इसका आकार बदला जा सकता है
-    इसे दोबारा प्रयोग किया जा सकता है जैसे PVC, पालीथिन

·         थर्मो-सेटिग़ प्लास्टिक - यह आसानी से मुड़ नहीं सकता है
-    ऊष्मा का प्रभाव नहीं होता
-     इसे दोबारा प्रयोग नहीं किया जा सकता है
-    गर्म करने पर केवल एक बार ही आकार बदला जा सकता है
-    मैलामाईन, बेकलाइट 

 प्लास्टिक – यह एक बहुलक है
 प्लास्टिक – यह एक बहुलक है



ü  पेट – यह एक विशेष प्रकार का पालीएस्टर है जिसे बोतलें, बर्तन, तारें, फिल्में आदि का निर्माण किया जाता है

ü  नाइलॉन रेशों से निर्मित वस्तुओं के नाम
·         तंबू, रस्सी, पराशूट

ü  गर्मियों के लिए सूती कपड़े खरीदनें चाहिए क्योंकि –
·         सूती कपड़ो में छिद्र होते है
·         सूती कपड़े पसीना सोखकर शरीर को सुखा रखते है
·         जबकि संश्लेषित कपड़े बिना छिद्र के होते है और शरीर का पसीना भी नहीं सोखते

ü  पॉलिशटर – इससे बने कपड़ो में बल नहीं होते

ü  टेफ़्लान – वे बर्तन बनाए जाते है जिसमें भोजन चिपकता नहीं

ü  रेयांन – काष्ट लुगदी का प्रयोग करकें बनाया जाता है

ü  प्राकृतिक रेशों के नाम – कपास, ऊन, रेशम

ü  कोई प्राकृतिक बहुलक – सेलूलोज

ü  कृत्रिम या मानव निर्मित या संश्लेषित रेशों के गुण –
·         कम कीमत होती है और बहुत समय तक चलते है
·         जल्दी सूख जाते है और देखभाल आसान होती है
·         ये जल्दी मिल जाते है
·         इनमें बल नहीं पड़ते और धोना भी आसान नहीं होता


science 8th class science कपड़े बनाने के लिए कृत्रिम और प्राकृतिक रेशे रेशों रेशम

ü  कपड़े बनाने के लिए रेशों या रेशम की आवश्यकता होती है

ü  रेशे बनाने के लिए तागे की आवश्यकता होती है

ü  तागे दो प्रकार के होते है –
·         कृत्रिम और प्राकृतिक

ü  कृत्रिम या मानव निर्मित रेशों को संश्लेषित रेशे भी कहते है

ü  कृत्रिम या मानव निर्मित (संश्लेषित) की छोटी इकाइयों को जोडकर एक बडा लंबा रेशा बनाया जा सकता है जिसे पालीमर या बहुलक कहते है

 कपड़े बनाने के लिए, कृत्रिम और प्राकृतिक,रेशे,  रेशों, रेशम,
 कपड़े बनाने के लिए


ü  कृत्रिम या मानव निर्मित रेशे
·         नाइलॉन, पॉलीएस्टर या ऐक्रिलिक, रेयान, प्लास्टिक, टेरीलीन, ऐक्रिलिक आदि   

ü  प्राकृतिक रेशों
·         कपास और रेशम आदि, ये हमे पौधों तथा जन्तुओ से प्राप्त (स्रोत) होते है 

ü  कृत्रिम रेशों
·         हमे पौधों या लकड़ी और कोयला या जीवाश्म ईंधन से प्राप्त (स्रोत) होते है 

ü  पहला संश्लेषित रेशा – नाइलॉन (1931)

ü  सभी रेशे अपने गुणों के आधर पर पहचाने जाते है जैसे रख-रखाव, उपलब्धता, मूल्य, दहन प्रकृति, जल अवशोषण, प्रबलता आदि

ü  प्लास्टिक – यह एक बहुलक है जो दो प्रकार के होते है
·         थर्मो प्लास्टिक और थर्मो-सेटिग़ प्लास्टिक

ü  पॉलीथिन – एक प्रकार का प्लास्टिक है  

ü  प्लास्टिक हल्का, मजबूत, टिकाऊ, जंग रहित तथा ऊष्मा का रोधक होता है

ü  प्लास्टिक का अपशिष्ट हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है क्योंकि यह जैव प्रकृति का नहीं होता, इसके जलाने पर विषैली गैसें होती है तथा भूमि भी बंजर होती है इसका अपघटन भी नहीं होता  

ü  4R का नियम – Reduce, Reuse, Recycle, Recover


ü  किसी भी संश्लेषित रेशे के अपघटन या अपशिष्ट के निपटारे के लिए 4R के नियम को ध्यान में रखना चाहिए 

07/06/2015

science 8th class science प्रमुख वैजानिक रोग और कारण

ü  राबर्ट हुक (1665) – सूक्ष्मदर्शी द्वारा विभिन्न जीवो को देखना और उनको सूक्ष्म जीवाणु नाम देना

ü  लुई पास्चर (1857–59) – किण्वन जो की एक रासायनिक क्रिया है तथा सूक्ष्म जीवों के विभाजन द्वारा शरू

ü  राबर्ट कोच (1872-89) - तपेदिक होने का मुख्य कारण ट्यूबरकुली बैसिलस है

ü  अलेक्जेंडर फ्लेमिग़ (1929) – टेटनस बेसिलस के कारण ही तपेदिक रोग फलता है प्रति जैविक दवाई पेन सिलीन कवक को पेन सिलीन नोटेटम से प्राप्त किया जाता है 


प्रमुख वैजानिक, रोग और कारण
प्रमुख वैजानिक, रोग और कारण


ü  तपेदिक – जीवाणु से और वायु के माध्यम – रोगी को अलग रखना, सही आयु में टीकाकरण, रोगी के बर्तन और कपड़े अलग होने चाहिए

ü  खसरा – विषाणु से और वायु के माध्यम - रोगी को अलग रखना, सही आयु में टीकाकरण, रोगी के बर्तन और कपड़े अलग होने चाहिए 

ü  चेचक - विषाणु से और वायु/स्पर्श के माध्यम - रोगी को अलग रखना, सही आयु में टीकाकरण, रोगी के बर्तन और कपड़े अलग होने चाहिए  

ü  पोलियों - विषाणु से और वायु/जल के माध्यम - रोगी को अलग रखना, सही आयु में टीकाकरण, रोगी के बर्तन और कपड़े अलग होने चाहिए  

ü  हैजा - जीवाणु से और जल/भोजन के माध्यम – अपनी साफ-सफाई रखना, शोचालय का प्रयोग, उबला पानी, पका भोजन, टीका करण

ü  टॉयफाइड - जीवाणु से और जल के माध्यम - अपनी साफ-सफाई रखना, शोचालय का प्रयोग, उबला पानी, पका भोजन, टीका करण 

ü  हैपाटीटीस बी - विषाणु से और जल के माध्यम - उबला पानी, टीका करण 


ü  मलेरिया – प्रोटोजोवा से और मच्छर के माध्यम – मच्छर रोधकों, जाली और कीटनाशक का प्रयोग, पानी को खड़ा न होने दे! 

science 8th class science टीका और टीकाकरण प्रतिरक्षी प्रतिरोध क्षमता

ü  टीका और टीकाकरण –
·         किसी रोग के कमजोर या मृत प्रति की दवाईयों को टीका कहते है, दवाई के शरीर में प्रवेश करने से हमारी श्वेत रक्त कोशिकाऐ प्रति रक्षी बना कर हमारे शरीर को सुरक्षित रखते है  कृत्रिम तरीके से दवाई का शरीर में प्रवेश कराना ही टीकाकरण कहलाता है ऐडवर्ड जेनर 1798 ई. में टीकाकरण को विकसित किया!


ü  प्रतिरक्षी –
·         कुछ सूक्ष्म जीवों के द्वारा इस प्रकार की क्रिया की जाती है जिनसे हमारे शरीर को रोग से लड़ने की ताकत मिलती है प्रतिरक्षी में विशेष प्रकार का प्रोतिजन होता है ये प्रतिरक्षी रोगाणुओ के साथ प्रति क्रिया करते है


ü  प्रतिरोध क्षमता –
·         शरीर को रोगों से बचाने की क्षमता ही प्रतिरोध क्षमता कहलाती है यह क्षमता ही रोग फलाने वाले जीवाणु, विषाणु और अन्य रोगों से हमारे शरीर की सुरक्षा करते है


टीका और टीकाकरण, प्रतिरक्षी, प्रतिरोध क्षमता
साइनो जीवाणु कोशिका


ü  डायटम –
·         ये सूक्ष्म जीव एक कोशिका शैवाल होते है ये समुंद्र और ताजे पानी, दोनों में पाया जाता है, ये अकेले – 2 कोशिकाओ या समूह में भी हो सकते है! ये लैगिक और अलैगिक दोनों प्रकार से जनन करते है


ü  साइनो जीवाणु कोशिका –
·         इसकी चार परतो वाली कोशिका भित्ति होती है, इसके अन्दर प्लाज्मा झिल्ली की परत का आवरण होता है जिसके अन्दर साइटो – प्लाज्मा होता है


05/06/2015

science 8th class science कवक जीवाणु-भोजी कवक द्वारा रोग

ü  कवक से मिलने वाले विभन्न उत्पादन –
·         खाने वाली वस्तुओं में प्रयोग होता है जैसे चावल से इडली इर दाल से डोसा, मसरूम आदि
·         प्रति जैविक बनाए जाते है – पेनसिलीन
·         ब्रैड और केक बनाने में प्रयोग किया जाता है
·         एल्कोहल जैसे शराब और बियर बनाने में प्रयोग किया जाता है
·         पाश्चरीकरण पनीर 
·         उल्ली कवक के बीज द्वारा हमारे भोजन को खराब कर दिया जाता है
·         कुछ रोग कवक द्वारा फलते है जैसे – रिंग वर्म और एथलीट फुट 

 कवक, जीवाणु-भोजी, कवक द्वारा  रोग,
 कवक, जीवाणु-भोजी, कवक द्वारा  रोग,
 
ü  जीवाणु-भोजी किसे कहते है –
·         विषाणु परपोषि होते है जो विषाणु दूसरे जीवाणुओं पर निर्भर करते है या पोषि के शरीर में ही प्रजनन करते है  उन्हें हम जीवाणु-भोजी कहते है
ü  डबलरोटी बनाने की विधि –
·         खमीर के द्वारा ही डबलरोटी बनाई जाती है आटे में गर्म पानी और चीनी के साथ खमीर मिला कर एक मिश्रण बनाया जाता है गर्म पानी और चीनी के कारण खमीर कोशिकाओ में तेज वृद्धि होती है और यह कूलना शरू हो जाता है प्रजनन के समय खमीर CO2 उत्पान करता है  ये सभी CO2 के बुलबुले मिश्रण को फलने का काम करते है इसे पकाने पर डबलरोटी हल्की और नर्म बनती है
ü  उल्ली कवक में वृद्धि को कम करने के उपाय –
·         वस्तुओं को निम्न ताप पर रखे
·         वस्तुओं को रखने के लिए साफ और बंद डिब्बों का प्रयोग
·         शुष्क भंडारण का प्रयोग सूखी चीजों के लिए करें
·         आचार के रूप में खाद्य पदार्थो को प्रति-रक्षीत करें 
·         वायु में मिले हुए सूक्ष्मजीवों से बचना
ü  कवक होते है -
·         रंग रहित
·         बाह्य कोशिका भित्ति कवक सेलूलोज से बनी होती है
·         परपोषी
·         मृतजीवी या परजीवी
·         आर्द्र जैविक सतह पर प्रजनन
ü  शैवाल होते है –
·         रंग हरा
·         बाह्य कोशिका भित्ति कवक सेलूलोज से बनी
·         स्वपोषी
·         आवास जलिय
·         आर्द्र सतह पर प्रजनन


science 8th class science सूक्ष्म जीवों के आकार विषाणु और सूक्ष्मजीव में विभिन्नता

ü  विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों के आकार  -
·         जीवाणु   - 0.2 से 100u
·         खमीर    - 5 से 10u
·         शैवाल    – 1u से कई मीटर
·         प्रोटोजोवा – 2 से 200u
·         विषाणु   - .015 से 0.2u   

ü  सूक्ष्मजीव प्रतिकूल समय में जीने के लिये क्या करते है –
·         सभी सूक्ष्मजीव बहुत ही कठोर और सख्त होते है विपरीत समय में जैसे सूखे या अधिक ऊषमा में अपने चारों तरफ एक सख्त आवरण या कवच बना लेते है और जिंदा रहते है ये अन्दर अक्रियाशील हो जाते है और अनुकूल समय का इंतजार करते है और फिर ये बहुविखंडन से गुणन करते है

सूक्ष्म जीवों के आकार, विषाणु और सूक्ष्मजीव में विभिन्नता
विषाणु और सूक्ष्मजीव में विभिन्नता


ü  विषाणु और सूक्ष्मजीव में विभिन्नता –
·         विषाणु सबसे छोटे आकार के सूक्ष्मजीव होते है
·         ये सूक्ष्मजीव सजीव और निर्जीव की सीमा पर होते है, ये केवल पोषि के शरीर में ही प्रजनन करते है 
·         ये हानिकारक होते है और कई रोग फलाने के लिए कारक होते है

ü  विषाणु सजीव की सीमा पर होते है क्योंकि –
·         इन में न्यूक्लीय अम्ल पाया जाता है
·         ये सजीव की तरह वृद्धि और प्रजनन करते है

ü  विषाणु निर्जीव की सीमा पर होते है क्योंकि - 
·         इन में केन्द्रक और जीव द्रव्य नहीं होता
·         इन्हें दानों में बदला जा सकता है जैसे नमक और चीनी के दाने

ü  कवक दो प्रकार के होते है खमीर और उल्ली
·         खमीर – ये एक कोशिक होते है
-    आकार 5 से 10u
-    ये वायुवयी और अवायुवयी होते है

·         उल्ली – ये बहुकोशिक होते है
-    आकार 2 से 10u
-    ये वायुवयी होते है