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11/12/2015

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05/12/2015

बाल अधिकार बच्चों के अधिकार

विभिन्न प्रकार के बाल अधिकार

हमारे संविधान में सभी नागरिकों कों कई प्रकार के अधिकार प्राप्त होते है 18 साल से कम आयु का प्रत्येक नागरिक बच्चों की श्रेणी में आता है और बच्चा होने के नाते भी उसे कई अधिकार प्राप्त होते है जैसे –

बाल अधिकार
बाल अधिकार


ü  अनुच्छेद 42 @ अपने अधिकारों के बारे में जानने का हक

ü  अनुच्छेद 2 @ मैं कोंन हूँ मेरे माता पिता – मेरा धर्म – भाषा क्या है जानने का हक

ü  अनुच्छेद 12,13 @ मुझे अपने स्वतंत्र विचार कहने का हक

ü  अनुच्छेद 28 @ बच्चा होने के नाते गलती करके सिखने का हक

ü  अनुच्छेद 23, 28, 29 @ सभी के लिए अच्छी शिक्षा और अच्छे वातावरण का अधिकार

ü  अनुच्छेद 24 @ साफ खाना, पानी और अच्छी स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त करने का अधिकार

ü  अनुच्छेद 31 @ खेल-कूद और आराम का पूरा अधिकार

ü  अनुच्छेद 19 @ अच्छी देखभाल और किसी भी प्रकार के दुराचार व नुकसान से बचने का अधिकार

ü  अनुच्छेद 9, 27 @ पारावारिक सुरक्षा और घर का अधिकार

ü  अनुच्छेद 29,30 @ मुझे अपने मान्यताओं और विरासत को मानने का अधिकार

ü  अनुच्छेद 28, 37 @ किसी भी प्रकार का शारारिक या मौखिक अत्याचार के खिलाफ अधिकार

ü  अनुच्छेद 32, 34, 36 @ आर्थिक और किसी भी प्रकार के यौन शोषण के खिलाफ अधिकार









कानून और सामाजिक न्याय samajik nyay or hmara kanun

कानून और सामाजिक न्याय


सामाजिक न्याय और कानून एक गहरा रिश्ता होता है जैसे सभी के लिए समान आगे बढ़ने के अवसर होगें और यदि ऐसा नहीं होता है तो इस प्रकार के कानून का निर्माण किया जाए ताकि सभी के आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकें और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिल सकें! कई बार कम्पनियां मजदूरों को कम मजदूरी देते है या नहीं भी परन्तु एक कानून का निर्माण किया गया है जिसकें माध्यम से यह व्यवस्था की गई है की सभी को एक न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए और एक निश्चित समय के बाद उस में वृद्धि भी होनी चाहिए! इसीलिए समाज में शोषण को रोकने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के कानूनों का सहारा लेने अति आवश्यक हो जाता है! मौलिक अधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए कानूनों का निर्माण करना और उनका पालन करना और जो लोग उनका पालन नहीं कर रहें हो उन पर उचित कार्यवाही करना सरकार की ज़िमेदारी बन जाती है


कानून और सामाजिक न्याय
कानून और सामाजिक न्याय  

विभिन्न सुरक्षा के कानूनों पालन – किसी भी कानून का केवल बना देना ही काफी नहीं होता बल्कि उसको उचित प्रकार से लागू करना भी अति आवश्यक होता है तभी हम सामाजिक न्याय को बढ़ावा दे सकते है! उदहारण के लिए मान लेते है की मजदूरों को कम मजदूरी दी जा रही है तो सरकार अपनी विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से निरीक्षण करा सकता है उचित कार्यवाही कर सकती है!

काम करते समय सुरक्षा के कानूनों का पालन करना भी अति आवश्यक होता है जैसे कारखानों में उचित सुरक्षा के उपकरणों का होना और उचित प्रकार से साफ हवा का होना आदि! यदि हम अपने कारखानों में उचित सुरक्षा के उपकरणों का पालन करते है तो हम कारखानों में होने वाले विभिन्न हादसों को भी रोक सकते थे! जैसे भोपाल के महाविनाश में हमनें देखा की सुरक्षा के उपकरणों की अनदेखी की गई थी जिससे हमारे देश को कितना बढ़ा नुकसान उठाना पड़ा! यदि हम अपने सुरक्षा के उपकरणों पर ज्यादा ध्यान देते है तो इससे हम अपने मजदूरों की कीमत को समझ सकते है यह अलग बात है की भारत में सस्ता श्रम है और एक मजदूर की स्थान पर दूसरा हमे आसानी से मिल जाता है और पहले से सस्ता भी! परन्तु हमे अपने मजदूरों की सुरक्षा के साथ नहीं खेलना चाहिए और सुरक्षा के मानकों का पूरी तरह पालन करना चाहिए जैसे की विदेशों में होता है!

पर्यावरण की रक्षा –

पहले इस प्रकार के कानून कम और उनको लागू करने का प्रबंध भी बहुत ही कमजोर होता था कारखाने हमारे वातावरण को दूषित करते रहते थे और हवा और पानी के स्रोतों को भी दूषित करते रहते थे! परन्तु पिछलें समय में हुई कई कारखानों की दुर्घटनाओं ने इस तरफ ध्यान आकर्षित किया है! सुरक्षा मानकों में ढील के कारण ही कारखानों को फायदा मिलता और उन्हें प्रदूषण के लिए और उसे रोकने के लिए भी खर्च नहीं करना पड़ता था! जैसे की भोपाल में यूनियन कार्बाइड को मिला और हमारी कमजोरियों और उस के परिणामों को भी हम देख चुकें है!


इसीलिए हम कह सकते है की पर्यावरण की रक्षा और सुरक्षा के उपकरणों के साथ हमे खिलवाड़ नहीं करना चाहिए! 

जनसुविधाएँ जनसुविधा मूलभूत जनसुविधाएँ

जनसुविधाएँ

जनसुविधाओं से अभिप्राय उन सभी मूलभूत सुविधाओं से है जो लोगों को जीने के लिए चहिए जैसे स्व्च्छता, पानी, बिजली, सार्वजनिक परिवहन और स्कूल आदि! ये जनसुविधाएँ हमारे जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक होती है इन के बिना जीवन बहुत ही कठिन हो जाता है! उदहारण के लिए पानी को लेते है साफ पानी की उपलब्धता सभी के लिए होना अति-आवश्यक है यदि साफ पानी नहीं मिलता तो लोगों में बहुत सी बीमारियाँ फैलने का डर होता है जैसे दस्त, पेचिसी और हैजा आदि! पानी से सम्बंधित बीमारियों के कारण भारत में 1600 लोग हर रोज मरते है और इनमें ज्यादातर बच्चे होते है जिस देश में जन सुविधाओं की पहुँच अधिक लोगों तक होगी वह पर लोगों के अंदर बिमारियां भी कम होती है और म्रत्यु दर भी कम होती है


जनसुविधाएँ
जनसुविधाएँ

जन सुविधाओं की एक विशेषता यह होती है की एक बार बनने पर इसकी पहुँच बहुत अधिक लोगों तक और इनका प्रयोग भी अधिक समय तक किया जा सकता है! जैसे स्कूल बनने से कितने अधिक बच्चों को इसका फायदा होता है! गाँव में बिजली आने से लोग खेंतो के लिए पम्प सेट चला सकते है! बच्चों के पढनें में आसानी और लोग अपने काम करने के लिए वर्कशाप खोल सकते है!

जनसुविधाओं में सरकार की भूमिका
                                 सभी प्रकार की जन सुविधाओं का दायरा बहुत अधिक होता है इसीलिए इन को बिना ज़िमेदारी के नहीं छोड़ा जा सकता! जन सुविधाएं इतनी अधिक महत्वपूर्ण होती है की सरकार ही इनको पूरा करने की ज़िमेदारी अपने उपर लेती है ताकि बिना किसी भेदभाव के सभी को इन सुविधाओं की उपलब्धता कराई जा सकें! जैसे स्कूल और अस्पताल - यदि इन जिम्मेदारियों को कम्पनियों के लिए छोड़ दिया जाए तो ये कम्पनियां अपनी निजी हित के लिए काम कर सकती और विभिन्न लोगों के मध्य भेदभाव कर सकती है और मन-माने ढंग से पैसे उसूल कर सकती है और यह देश के नागरिकों के मुलभुत अधिकारों का हनन होगा!

सरकार बजट के माध्यम से अपने खर्च और आय को बताती है और पिछलें साल क्या खर्च किया और आने वाले समय में क्या खर्च होना है यह सब बजट के माध्यम से बताती है सरकार की मुख्य आय जनता से होने वाली करों की प्राप्ति है और इस पैसे को जनता की भलाई या जनसुविधओं के विस्तार पर खर्च करने का सरकार की पास पूरा अधिकार होता है