जैव विविधता के संरक्षण की आवश्कता –
· जैव विविधता से हमारा अभिप्राय उन सभी जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और अन्य
सूक्ष्म-जीवों से हँ जो की एक विशेष क्षेत्र में पाए जाते है विभिन्न जीव-जन्तु
अलग – 2 तरह का भोजन खाना पसंद करते हँ जैसे पांडा बैबो डंडी और कई भालू मास या
सफेदे के पत्ते खाना पसंद करते है हमारे पक्षियों को दाना और हिरनों को हरी -घास
खाना पसंद होता है इन विशेष क्षेत्र में सभी के लिए भोजन की आवश्कता की पूर्ति
होती हँ और विभिन्न जीव-जन्तुओं की भोजन-श्रंखला पर प्रभाव नहीं पड़ता, इसीलिए सभी
जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और अन्य सूक्ष्म-जीवों के संरक्षण के लिए विभिन्न जैव
विविधता वाले विशेष क्षेत्र अति आवश्यक है!
· हमारे जीव-जन्तुओं अब संरक्षण क्षेत्र में भी सुरक्षित नहीं रहते
क्योंकि आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोग इन वनों को काटते रहते हँ और
जीव-जन्तुओं का शिकार करते रहते है!
· हमारी विभिन्न आदिवासी जातियां भी इन जंगलों पर निर्भर रहते
है हमारे राष्टीय उद्यान सतपुड़ा में भी इस तरह के प्रमाण मिले हँ
जहां पर आदिमानव ने अपना रहने का स्थान बनाया! उनके आवास के प्रागैतिहासिक
प्रमाण जैसे मनुष्य का लड़ना और विभिन्न जीवों का शिकार करना, कई तरह के बजाने
के यंत्र और लोगों का समहू में रहना आदि!
जैव विविधता का संरक्षण
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कागज़ का निर्माण या बनाना –
· हम सभी जानते हँ की काग़ज हमारे लिए कितना जरूरी हँ क्योंकि
इस पर हम अपनी आवश्कता के अनुसार लिखते हँ और प्रयोग करते है परन्तु इसके निर्माण
या कागज़ को बनाने के लिए पेड़ो को काटना पड़ता है 1 टन कागज़ के लिए 16 से 18 पेड़
पौधों को काटना पड़ता है इस लिए हमें काग़ज को बचाना चाहिए और इसके पुन-प्रयोग
को बढ़ावा देना चाहिए, हम काग़ज का 5-7 बार पुन-प्रयोग कर सकते है
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