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04/07/2015

science 8th class science वनों के काटने से भूमिगत जल कम होता हँ

वनों के काटने से भूमिगत जल कम होता हँ क्योंकि

ü  वनों के अधिक होने के कारण अधिक वर्षा की संभावना होती हँ तथा वन सम्पदा में पानी को रोकने क्षमता होती हँ ये अपनी जड़ो के माध्यम से पानी कों जमीन के अंदर पहुंचा देते है लेकिन आधुनिक काल में अपनी आवश्कता की आपूर्ति के लिए पेड़-पौधों को अधिक कटा गया हे और अधिक चरने के कारण भी अनउपजाऊ भूमि में वृद्धि हुई है इसीलिए वर्षा का पानी जमीन पर न रुक पाता हँ और न ही जड़ो के माध्यम से भूमि में जा पाता है इसी कारण भूमिगत जल में कमी आई है


वनों के संक्षरण की आवश्कता
वनों के संक्षरण की आवश्कता



वनों के संक्षरण की आवश्कता

ü  हमारे वन एक इस प्रकार के जैवमंडल का निर्माण करते है जिसमें बहुत से जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और अन्य सूक्ष्म-जीवों का आवास होता है ये वन ही होते हँ जो दूसरों के रख रखाव में सहायक होते है जैसे मिटटी, जल और वायु ! इसीलिए वनों के संक्षरण को कई बार हम मिटटी, जल और वायु का संक्षरण भी कहते हे, ये सभी मिलकर जलवायु संतुलन बनाए रखते है वनों के काटने से जलवायु संतुलन बिगड़ जाता हे और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है


वन्य जीवों का आवास –

ü  हमारे जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों का अपने रहने के स्थान से गहरा लगाव होता हे और कई जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों किसी खास वातावरण में ही रहना पसंद करते है या जीवित रह सकते हे जैसे ब्राजील के वर्षा वन सुनहरी शेर का प्राकृतिक आवास है हमारे सुंदर वनों में शेर का होना आदि! इन के प्राकृतिक आवास के खत्म होने से इनके जीवन पर संकट आ जाता हे और विलुप्त हो जाते है
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कंचनजंघा राष्टीय उद्यान जो कई विलुप्त जीवों का आश्रय है –
                                
ü  मार्बल बिल्ली, बर्फीला तेंदुआ, काला भालू, बदली तेंदुआ, लाल पांडा, मिस्क हिरन और सिरोड़ा हरा कबूतर आदि


पारीतंत्र –

ü  जैविक घटकों (भोतिक पर्यावरण) और जैविक घटक के आपसी सहयोग से बने तंत्र को पारीतंत्र कहते है! तथा दोनों ही एक दूसरे से प्रभावित होते है! ये प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकता हें यह अस्थाई खेती या स्थाई जंगल हो सकता हें अत: पारीतंत्र हमारे पर्यावरण की एक कार्यात्मक और सं-रचनात्मक इकाई है

   

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