ü कीटनाशक – यह फसलों पर कीटो
के प्रभाव को रोकता है, यह मानव-शरीर पर भी प्रभाव डालता है जैसे डी. डी. टी.(DDT)!
ü खरपतवार नाशक – यह उपज के
साथ उगे आए अन्य पौधों को मारता है, यह मानव-शरीर पर भी प्रभाव डालना और भोजन में
भी शामिल हो जाता है, जैसे २ -४डी (2-4D), बुटाक्लोर!
फसलों, पनीरी या पौध, मूल आवश्यकताएँ |
ü पनीरी लगाना – बहुत सी फसल
को सीधे खेत में नहीं लगया जाता, पहले उनके बीजो को छोटे भू-भाग पर लगाया जाता है
तथा छोटे पौधे या पनीरी या पौध तैयारे की जाती है फिर इन्हे छोटे भू-भाग से खेत
में लगा दिया जाता है इसे पनीरी लगाना कहते है!
ü उपज उगने की मूल आवश्यकताएँ
–
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उचित किस्म की मिटटी
·
खाद का उपयोग,
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पानी और अच्छा बीज,
·
औजार और रोगों का उपचार !
ü सभी फसलो को अलग – अलग इसी लिए
उगया जाता हे क्योंकि सभी फसलो को उगने के लिए अलग – अलग मात्रा में प्रकाश,
पानी, हवा चाहिएं !
ü अनाज भंडारण की विधि –
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किसान द्वारा धातु या मिटटी के डिब्बे में अनाज
का भंडारण करना, इसे अनाज घर कहते है!
·
अनाज को सीमेंट के कमरों में रखा जाता हे जिसे
गोदाम कहते है!
·
कुछ फलों और सब्जियों को निम्न ताप पर रखा जाता
है जिन्हें शीत- भंडारण कहते है
ü बीज बोते समय निम्न बिन्दुओ
का ध्यान रखना चाहिए –
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बीजो का उचित गहरीकरण
·
समय पर पानी
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उचित समय पर खाद
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खरपतवारों का न होना
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कीटनाशक का न होना
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उचित प्रकाश
ü रासायनिक उर्वरक हानिकारक
हो सकते हे क्योंकि –
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मिटटी की प्राकतिक उपजाऊ ताकत को कम करते है
·
मिटटी के रसायन बदल जाते है
·
रसायन उपज में शामिल हो जाते हे और भोजन के
माध्यम से इंसान और जानवरों को हानि पहुचते है
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