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30/05/2015

science 8th class science फसल की उपज बढानें कृषि पद्धतियाँ मिटटी को पलटना या हल चलाना

ü  बीज बोने से पहले मिटटी को पलटना या हल चलाना

·         पौधों की जड़े आसानी से नीचे तक फैल जाती हे, तथा आसानी से सास ले सकती हे
·         पौधे मजबूती से मिटटी में पकड़ बनाते हे,
·         हल चलने से मिटटी नीचे तक हिल जाती हे और पूरी या आंशिक मिटटी पलट जाती हे
·         हल चलाने से मिटटी पोली हो जाती हे तथा पहली उपज के अवशेष बाहर आ जाते हे
·         कई बार हल चलने से खरपतवार हट जाती हे और हानिकारक जीव खत्म होते है
·         हल चलाने से मिटटी नरम, साफ और फसल उगने योग बन जाती है

फसल की उपज बढानें, कृषि पद्धतियाँ, मिटटी को पलटना या हल चलाना, मिश्रित उर्वरक,
कृषि पद्धतियाँ, मिटटी को पलटना या हल चलाना

ü  मुख्य या विशेष कृषि पद्धतियाँ
·         हल चलाना
·         बुआई
·         पानी देना
·         खाद डालना
·         निराई
·         फसल की सुरक्षा
·         कटाई और भंडारण

ü  फसल की उपज बढानें के लिए उपाए या तरीके
·         अच्छे बीज का प्रयोग करना
·         मिटटी में उर्वरक का मिलाना
·         खरपतवार को रोकना
·         पौधों का रोगों से बचाना


ü  मिश्रित उर्वरक, प्रयोग और भंडारण
जो उर्वरक एक साथ कई प्रकार के पोषक पदार्थ की आपूर्ति करे, उसे मिश्रित उर्वरक कहते है! जैसे NPK- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटासियम और CAN- कैल्शियम, अमोनिया नाइटेट आदि! भूमि पर लगातार हो रही उपज से मिटटी में पोषक पदार्थ की कमी हो जाती है जिसे पूरा करने के लिए मिश्रित उर्वरक डाले जाते हे, ये उर्वरक नमी प्रिय होते हे और पानी को सोख लेते हे तथा बाद में प्रयोग नहीं किए जा सकते, इसलिए इन उर्वरको को भंडारण सूखे स्थान पर करना चाहिए 

29/05/2015

science 8th class science फसलों पनीरी या पौध मूल आवश्यकताएँ और अनाज भंडारण

ü  कीटनाशक – यह फसलों पर कीटो के प्रभाव को रोकता है, यह मानव-शरीर पर भी प्रभाव डालता है जैसे डी. डी. टी.(DDT)

ü  खरपतवार नाशक – यह उपज के साथ उगे आए अन्य पौधों को मारता है, यह मानव-शरीर पर भी प्रभाव डालना और भोजन में भी शामिल हो जाता है, जैसे २ -४डी (2-4D), बुटाक्लोर!

फसलों, पनीरी या पौध,  मूल आवश्यकताएँ
फसलों, पनीरी या पौध,  मूल आवश्यकताएँ

ü  पनीरी लगाना – बहुत सी फसल को सीधे खेत में नहीं लगया जाता, पहले उनके बीजो को छोटे भू-भाग पर लगाया जाता है तथा छोटे पौधे या पनीरी या पौध तैयारे की जाती है फिर इन्हे छोटे भू-भाग से खेत में लगा दिया जाता है इसे पनीरी लगाना कहते है!
   
ü  उपज उगने की मूल आवश्यकताएँ
·         उचित किस्म की मिटटी
·         खाद का उपयोग,
·         पानी और अच्छा बीज,
·         औजार और रोगों का उपचार !

ü  सभी फसलो को अलग – अलग इसी लिए उगया जाता हे क्योंकि सभी फसलो को उगने के लिए  अलग – अलग मात्रा में प्रकाश, पानी, हवा चाहिएं !

ü  अनाज भंडारण की विधि
·         किसान द्वारा धातु या मिटटी के डिब्बे में अनाज का भंडारण करना, इसे अनाज घर कहते है!
·         अनाज को सीमेंट के कमरों में रखा जाता हे जिसे गोदाम कहते है!   
·         कुछ फलों और सब्जियों को निम्न ताप पर रखा जाता है जिन्हें शीत- भंडारण कहते है

ü  बीज बोते समय निम्न बिन्दुओ का ध्यान रखना चाहिए
·         बीजो का उचित गहरीकरण
·         समय पर पानी
·         उचित समय पर खाद
·         खरपतवारों का न होना
·         कीटनाशक का न होना
·         उचित प्रकाश

ü  रासायनिक उर्वरक हानिकारक हो सकते हे क्योंकि –
·         मिटटी की प्राकतिक उपजाऊ ताकत को कम करते है
·         मिटटी के रसायन बदल जाते है

·         रसायन उपज में शामिल हो जाते हे और भोजन के माध्यम से इंसान और जानवरों को हानि पहुचते है  

28/05/2015

science 8th class science फसल कृषि ओजार बुआई कीट और कटाई

ü  खरीफ की फसल दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर करता है

ü  खरीफ की फसल का समय जून-अक्टूबर होता है जैसे धान और मक्का

ü  रबी की फसल नवम्बर-अप्रैल में होती है यह मानसून पर निर्भर नहीं होती, जैसे गेहूँ और चना

ü  कृषि विधि – किसान दवारा समय – समय पर किए क्रिया कलाप, जो फसल उगने के लिए आवश्यक है

ü  कृषि ओजार - किसान दवारा समय – समय पर खेत में प्रयोग किए जाने वाले ओजार

फसल, कृषि ओजार, बुआई , कीटऔर कटाई
फसल, कृषि ओजार, बुआई , कीटऔर कटाई

ü  बीजो दवारा उगने वाली फसल – गेहूँ, मक्का और जौ
 
ü  पौधों के कायिक भागो से उगने वाली फसल – आलू और गन्ना

ü  बुआई – हाथो दवारा बीजो को खेत में डालना

ü  पौधशाला – एक स्थान जहां पर बीजो से छोटे पौधे तैयार किये जाते है ताकि उन्हें बाद में रोपित किया जा सके

ü  पानी की जयादा मात्रा से मिटटी की हवा कम हो जाती है जिससे फसल ख़राब हो जाती है

ü  जल मग्नता - पानी की जायदा मात्रा से होता है

ü  पतन – वर्षा के साथ तेज हवा के चलने से फसल ख़राब हो जाती है इसे पतन कहते है

ü  खेत खाली छोड़ना – खेत में फसल ने जगाना

ü  दो फलीदार पौधे – बरसीम और चना

ü  खरपतवार – फसल के पौधों के अतिरिक्त दूसरे पौधे होना

ü  कीट – फसल को ख़राब करने वाले जीवो को कहते है

ü  कटाई – फसल को पकने के बाद काटने को कटाई कहते है

ü  उपज मात्रा – कटी फसल में दानो की मात्रा कुल उपज कहलाती है


ü  कम्बाइन – फसल काटने के लिए प्रयोग की जाने वाली मशीन को 

27/05/2015

science 8th class science उर्वरक खाद सिचाई के अलग अलग माध्यम

उर्वरक क्या होते है

Ø  अकार्बनिक लावन होता है
Ø  यह कारखाने में बनाया जाते है
Ø  इसमें पादप पोषक अधिक मात्रा में होते है
Ø  यह मिटटी में ह्यूमस की मात्रा में बढ़ोतरी नहीं करता

 
खाद क्या होता है
खाद क्या होता है


खाद क्या होता है –

Ø  एक कार्बनिक पदार्थ होता है
Ø  यह पशु के गोबर एव अन्य अपशिस्ट से बनता है
Ø  इसमें पादप पोषक कम मात्रा में होते है
Ø  मिटटी में ह्यूमस की मात्रा में बढ़ोतरी करता है


सिचाई के अलग अलग माध्यम
Ø  कुयें, तालाब, झील, टुबल, नदियाँ और बाँध


सिचाई की आधुनिक विधि – छिडकाव और ड्रिप विधि


Ø  छिडकाव विधि – इस विधि का प्रयोग वह किया जाता है जहां पर पानी की कमी वह भूमि असमतल होती है, पाइपो के साथ पानी को पौधों तक पहुचाया जाता है, जो वर्षा के रूप में पौधों पर गिरता है यह रेतली मिटटी के लिए उपयोगी है

सिचाई के अलग अलग माध्यम
सिचाई की आधुनिक विधि


Ø  ड्रिप विधि – इस विधि के साथ पानी की बूदों को सीधे पौधों की जड़ो पर डाला जाता है यह विधि फलों, बगीचों और पेड़ो को जल देने की सर्वोतम विधि है, यह विधि जल की कमी वाली भूमि के लिये बहुत उपयोगी है



26/05/2015

science 8th class science विभिन्न प्रकार की फसल उत्पादन और प्रबंधन

विभिन्न प्रकार की फसल, उत्पादन और प्रबंधन


ü  खेत में पोधो को उगाना और देखभाल करना – यह कृषि उत्पादन कहलाता है

ü  धन कमाने के लिये जो फसल उगाई जाती है, हम उसे नगदी फसल कहते है

ü  फसल के अतिरिक्त, सब्जिया, फल और फूल भी उगाए जाते है इन्हे हम हॉर्टिकल्चर कहते है

ü  पौधों की उचित वृद्धि के लिये जल, ऑक्सीजन, सूर्य का प्रकाश और पोषक तत्व आवश्यक है

ü  कृषि उत्पादन में कुछ पद्धतियों का वैजानिक ढंग से उपयोग किया जाता है


विभिन्न प्रकार की फसल, उत्पादन और प्रबंधन
विभिन्न प्रकार की फसल, उत्पादन और प्रबंधन

ü  भूमि को नर्म और समतल करना, मिट्टी तैयार करना – जुताई कहलाता है ताकि जड़े आसानी से मिटटी में नीचे तक बढ़ती रहे!

ü  पौधों को समय पर पानी देना – सिचाई कहलाती है

ü  सिचाई के अलग अलग माध्यम – कुयें, तालाब, झील, टुबल, नदियाँ और बाँध

ü  सिचाई की आधुनिक विधि – छिडकाव और ड्रिप विधि

ü  बीज दो तरीके से बोए जाते है – हाथ से और सीड – ड्रिल

ü  पौध को तैयार कर फिर खेत में लगाने को रोपण विधि कहते है

ü  ह्यूमस कार्बनिक पदार्थ से बनी मिटटी की ऊपरी परत होती है यह पौधों और पशुओं के अपशिस्ट पदार्थ से बनती है

ü  खाद पौधों और पशुओं के अपशिस्ट पदार्थ से बनती है

ü  उर्वरक एक रासायनिक मिश्रण होता है जिसमे पोटासियम, नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है

ü  खाद और उर्वरक पौधों को ताकत देते है

ü  फसल के साथ उगने वाले दूसरें पौधों को खरपतवार कहते है यह खरपतवार-नासी से दूर होता है

ü  किट फसल को नुकसान करते है यहाँ पर किट-नासी का प्रयोग किया जाता है

ü  ऋतुओँ के आधार पर फसल के दो वर्ग है रबी और खरीफ


ü  रबी की फसल – गेहूं, चना, मटर 

खरीफ़ की फसल – धान एव मक्का 

ü  दानों को भूसे से अलग करना – थ्रेसिंग कहते है

ü  मिश्रित फसल में दो या तीन फसल एक साथ उगाई जाती है

ü  गाय, भैस, पोल्ट्रीफार्म, मछली का पालन मास, अंडे और दूध के लिए कि जाता है

ü  पालतू पशु को उचित देख भाल की आवश्कता होती है

ü  फसल की कटाई कुछ उचित दिनों पर शुरु की जाती है जैसे पोंगल, वैसाखी, दीवाली और बीहू आदि




23/05/2015

What you know about Macro Economics

Macro Economics – its limitation


In macro economics, we study the economics as a whole. We raise big issues which have collectively important for our economics. In it, we study the aggregates or average function witch have a close relationship with economics. For example like total employment, national income, total production, total saving and total demand or supply etc.

In macro economics, we study these topics as a whole and their ups & down, also inter-relationship with each other. In other words, we call the macro economics – theory of income and employment or income analysis. Macro economics have close relation with unemployment, inflation & deflation, international trade and development.


What you know about Macro Economics
Macro Economics - It's Limitation


Limitation of Macro Economics -

ü  Fallacy structure – in macro economics, we study the aggregate variables or as a total but some time their structure becomes fallacy. For example of one person increase saving, it is good habit but if whole economics doing the same, it is not good for economics.

ü  Importance of total or aggregate variables – it is possible that some time total or aggregate variables are not important. For example if national income increases it is not possible that income increases at individual level also. It is possible that some individual face a decrease in their income or there is an increase in income of rich person.

ü  Assume total variables as homogeneous – macro economics assume that total variables as a homogeneous. Macro economics not go through or understand their structure. For example macro economics assume that all the variables as same like income of Clark, teacher or doctor etc.


ü  Statistical difficulties – macro economics always study total variables but many time it is not possible to accumulate such variables data at micro-level. 

Meaning of Macro Economic – It’s Importance

Meaning of Macro Economic – It’s Importance

In macro economics, we study the economics as a whole. We raise big issues which have collectively important for our economics. In it, we study the aggregates or average function witch have a close relationship with economics. For example like total employment, national income, total production, total saving and total demand or supply etc.

In macro economics, we study these topics as a whole and their ups & down, also inter-relationship with each other. In other words, we call the macro economics – theory of income and employment or income analysis. Macro economics have close relation with unemployment, inflation & deflation, international trade and development.

What you know about Macro Economics
Macro Economics

                                                                                                
Importance of Macro Economics –

Analysis the economics activity – to understand any economic activity, we must firstly understand their macro variables like – total income, employments, productions because mostly our problems have a close relation with these factors.

Policy formation – macro economics play a very important role when we form any policy. These Policies are important for any economics like unemployment, total income, development, monetary issue or trade etc.

Analysis the individual issue – when we discuss the big issue, firstly we understand the micro-issue. For example if there is a decrease in demand & supply at micro level, we try to understand the factor or issue then after we make a solution of demand & supply at macro level