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10/07/2015

National Income public income total income

National Income

Income – a word which have a large concept and have a wide area. It’s related with all country and all the people of a particular country which engages them-self in any financial activity. In national income, we include all financial activity which is done by all the people of the country. In it we include, all the goods and services of an economic which is produce in a limited time frame and have a price.

National Income or public income or total income
National Income or public income or total income 


According to Marshal – National Income is a total income or total production which is produce by the entire production factor like capital or employee or natural resources etc in a limited time frame. Different people have different view to calculate national income. Someone define it in the basic of - income of all people in a country, other one is total expenditure or consumption etc.


We have three methods to calculate the National Income –

Income Method – in this method, we include the income of all production factors because they receive an income against their service, so total income is equal to the income of all production factors. GDP is equal to labor income or salary + interest + profit + rent etc.

Expenditure Method – in this method, we include total expenditure for all the goods and services in a limited time frame in an economic. We also include durable or non-durable thing in it.

Production Method – in this method, we include all the production in our economic by different industry. In it, we include total production of all goods and services. We also called it a value added method or factor cost of industry.   


                                                             

राष्टीय आय national income

राष्टीय आय

आय एक ऐसा शब्द जो सभी देशों और उनमें रहने वाले सभी नागरिकों ( व्यक्तियों ) के आर्थिक कामों से जुड़ा हुआ है, राष्टीय आय के अंतर्गत हम एक देश के अंदर रहने वाले सभी व्यक्तियों के द्वारा एक निश्चित समय में किए गए आर्थिक कामों को शामिल करते है, अन्य शब्दों में – राष्टीय आय से अभिप्राय किसी देश में एक निश्चित समय में उत्पादित की गई सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य या आर्थिक जोड़ से है,

राष्टीय आय
राष्टीय आय


मार्शल के अनुसार – एक देश की कुल पूंजी और कुल श्रम मिलकर जब दिए हुए प्राकृतिक संसाधन के साथ मिलकर एक निश्चित समय में बहुत सारी वस्तुओं (भोतिक और अभोतिक) का उत्पादन करते है इन सभी के जोड़ या कुल आर्थिक योगफल को राष्टीय आय या वार्षिक आय या देश का कुल राजस्व कहते है बहुत सी दूसरी परिभाषाऔ में हम दूसरे देश से प्राप्त आय को भी शामिल करते है, तथा कुछ अन्य लोग उपभोग को आधार पर मापते है वे इसके अंतर्गत देश के अंदर होने वाले कुल उपभोग को आधार मानते है क्योंकि किसी के द्वारा किया गया खर्च दूसरे की आय होती है


राष्टीय आय को मापने की विधियाँ

आय विधि – किसी भी देश के सभी साधन उत्पादन की विभिन्न विधियों में संलग्न होते है तथा इसी के बदले में उनकों आय प्राप्त होती है इसीलिए राष्टीय आय को सभी संसाधनों की आय का जोड़ भी माना जाता है सभी संसाधनों का उत्पादन = GDP (Gross Demostic Production), जैसे – मजदूरी या वेतन + ब्याज + लाभ + किराया 

व्यय विधि – इस विधि के अंतर्गत अर्थव्यवस्था के अंदर सभी के द्वारा किए गए कुल व्यय को शामिल करते है इसके अंदर हम चल और अचल तथा टिकाऊ और गैर-टिकाऊ वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए कुल व्यय को शामिल किया जाता है

उत्पाद विधि – इसके अंतर्गत हम एक निश्चित समय अवधि में देश की सभी उधोगों के द्वारा किया गऐ कुल उत्पादन (वस्तुओं और सेवाओं ) के जोड़ को शामिल करते है यह GDP की मूल्य बढ़ाव विधि या मूल उधोग द्वारा साधन लागत पर GDP भी कहा जाता है
                                                            



07/07/2015

science 8th class science कोशिका विभिन्न अंग कार्य Koshika ke kary snrchna

कोशिका विभिन्न अंग कार्य


ü  श्वेत रक्त कोशिका – यह एक प्रकार की कोशिका होती हँ और यह मानव रक्त में पाई जाती हँ तथा यह हानिकारक पदार्थो के भरण पोषण में सहायक होती है

 श्वेत रक्त कोशिका
 श्वेत रक्त कोशिका


ü  जीव द्रव्य – यह झिल्ली और केंद्रंक के मध्य होने वाला जीव द्रव्य होता है

ü  अंगक – जीव द्रव्य में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की छोटी – 2 संरचना

ü  कोशिका भित्ति – पादप कोशिका में झिल्ली के बाहर एक अलग से आवरण होता हे जो कोशिका को मजबूत बनाता है

ü  असीम केंद्री कोशिका – केन्द्रक झिल्ली का न होना या केन्द्रक का स्पष्ट न होना

ü  समीम केंद्री कोशिका - केन्द्रक का स्पष्ट होना तथा केन्द्रक झिल्ली का आवरण चारों तरफ होना

ü  द्रव्य से भरे विभिन्न अंगक को घानी कहते है

ü  पौधों में पाई जाने वाली विभिन्न छोटे आकार की रंगदार संरचनाओ को वर्णक कहते है

ü  जीन – ये गुणों के आनुवंशिकता के लिए होते है तथा क्रोमोसोम पर होती है

ü  कोशिका के अंदर केन्द्रक में बहुत सारी छोटी – 2 धागे के आकार की संरचना गुणसूत्र कहा जाता है

ü  कोशिका केंद्रक – सभी प्रकार की युकेरियोटिक कोशिका में केंद्रक को स्पष्ट देखा जा सकता है इसको चार भागों में बाटा जा सकता है –

·   केंद्रक झिल्ली – यह केंद्रक द्रव्य को चारों तरफ से घेरने वाला आवरण होता है जोकि परागम्य तथा सरंध होता है उपरी परत के चारों तरफ राइबोसोम होते है तथा जो RSR में निरंतर होते है कोशिका द्रव्य और केंद्रक द्रव्य के मध्य विभिन्न पदार्थो को देखते है

·  केंद्रक द्रव्य – यह कोलाइड्ल पदार्थ जो की अर्ध ठोस होता है इसके अंदर केंद्रिका और क्रोमैटिन धागे होते है यह एक पिजंरे की तरह कार्य करता है जो कोशिका विभिजन में महत्वपूर्ण spindle का निर्माण करता है

·   केंद्रिका – इसे हम न्यूक्लिओलम भी कहते है यह गहरे रंग, घना, गोल और नग्न प्रकार की संरचना होती है जो RNA का भंडारण और संश्लेषण करते है


·  क्रोमेटिन धागे – यह गहरे रंग के महीन और लम्बे धागे नुमा होते है ये मिलकर केंद्रक रेटिकुल्म का निर्माण करते है ये विभाजन में संघन होने के पश्चात विशेष छड के आकार की संरचना का निर्माण करते है जो क्रोमोसोम कहलाते है तथा इन पर ही जीन लगे होते है  

06/07/2015

science 8th class science कोशिका उतक सैलूलोज कोशिका झिल्ली

हमारी कोशिका और उसकी संरचना



ü  जिस प्रकार मानवो और जानवरों के विभिन्न अंग जैसे हाथ, पैर और टांगे होती हँ उसी प्रकार पेड़ो के भी विभिन्न अंग होते हँ जैसे – फूल, पत्ते, डाली, तना और जड़े आदि !

ü  आवर्धक लेंस के बिना हम अपने शरीर के छिद्र नहीं देख सकते !

ü  सभी सजीव भोजन करना, साँस लेना और उत्सर्जन जैसे विभिन्न क्रिया करते है

ü  सभी जीव अपनी -2 प्रजाति का प्रतिनिधित्व करते है  

ü  सभी सजीवों में अलग-2 प्रकार की कोशिका और संख्या तथा रंग होता है

ü  सभी जीवों को दो भागों में बाटा जा सकता है
·         एक कोशिका जीव – जीवन जीने की सभी कार्य एक ही कोशिका द्वारा किए जाते हँ जैसे अमीबा, जीवाणु और पैरा-मिशिय्म, ये सभी एक कोशिका जीव होते है

 कोशिका
 कोशिका 


·         बहु-कोशिका सजीव – सभी सजीव विभिन्न कोशिकाओं से मिलकर बने होते हँ और अलग – 2 कार्य करते है इनमें पादप और जन्तु को शामिल किया जाता है जिनकी कोशिका गोल आकार की होती हँ

ü  अंडे के अंदर पाया जाने वाला पिला भाग - योक कहा जाता है इसके चारों तरफ सफेद एल्ब्यूमिन होता हँ

ü  कोशिका सभी सजीवों की क्रियात्मक और सं-रचना देने वाली इकाई होती है  

ü  सभी कोशिकओं के चारों तरफ एक परत होती हँ जिसे कोशिका झिल्ली कहा जाता है जो कोशिका को आकार देती हँ तथा इसके अंदर कोशिका द्रव्य होता है

ü  पेड़ो की कोशिका को कोशिका भित्ति कहते हँ जोकि सैलूलोज से बनती हँ और यही पेड़ की कोशिकओं को आकार देती हँ
ü  सबसे बड़ी कोशिका के रूप में शुतुरमुर्ग के अंडे को जाना जाता है

ü  सभी कोशिकाओ के छोटे-2 अवयव - कोशिकांग कहलाते है

ü  कोशिका विभाजन पर-क्रिया को अपनाते हँ और विभाजित होकर बहुकोशिका जीवों का निर्माण करते है प्रत्येक कोशिका समहू अलग – 2 कार्य करते हँ कोंई भी समहू जिसमें एक समान कोशिका होती हँ उसे उतक कहते हँ और सभी अंग विभिन्न प्रकार के उतकों से मिलकर बने होते है















05/07/2015

science 8th class science पेड़-पौधों का दोबारा लगाए प्रवासी पक्षी

पेड़-पौधों का दोबारा उगाना या पुनर्वनरोपण
                                      
ü  हमारी वन सम्पदा बहुत ही उपयोगी है तथा लकड़ी का बहुत से कामों में प्रयोग किया जाता हे जब हम अपने काम के कारण इसे लगातार काटते रहते है तो इनकी कमी होने लगती हँ तथा हमारे वायुमंडल का संतुलन भी ख़राब होता है इसीलिए जब – 2 हम वन क्षेत्र को काटे तों यह हमारा उतर-दायित्व है की हम काटे हुए पेड़ के स्थान पर नए पेड़-पौधे लगाए! ताकि भविष्य के लिए अपनी वन-सम्पदा को बचाया जा सकें! सबसे पहले हमारी सरकार ने 1952 में राष्टीय वन कानून बनाया और लागू किया, इसके अनुसार सम्पूर्ण भूमि का 1/3 भाग पर वनों को फैलाना था परन्तु यह पूरा न हो सका और 1980 में इसे दोबारा से वन संरक्षित कानून के तहत् लागू किया


पेड़-पौधों का दोबारा उगाना या पुनर्वनरोपण
पेड़-पौधों का दोबारा उगाना या पुनर्वनरोपण
  
प्रवासी पक्षी किसे कहते है?

ü  जीवन यापन करने के लिए जब पक्षी (स्पीशीज) अपने आवास को छोड़कर बहुत दूर निकल जाते है तो इसे प्रवास पक्षी कहते है ये मोसम में हुए परिवर्तनों के कारण लम्बें दूरी तक चले जातें है ये पक्षी हर वर्ष इस प्रकार की दूरी तह करते है कुछ पक्षी अंडे देने के लिए भी इसप्रकार की यात्रा करते है जैसे कोओरैट और चपटे सिर वाली बत्तख आदि !  


सिल्वर कलचर किसे कहते है?

ü  यह एक बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हँ और जिसका पेड़-पौधों का दोबारा उगाना या पुनर्वनरोपण से है ताकि अपनी वन-सम्पदा को भविष्य के लिए बचाया जा सकें, इसके अंतर्गत दो बिन्दुओ पर जोर दिया जाता है –
·         हमारे उधोगों के लिए कच्चे माल को बनाए रखना और उसको अधिक करना
·         वन क्षेत्र को अधिक करना



04/07/2015

science 8th class science वनों के काटने से भूमिगत जल कम होता हँ

वनों के काटने से भूमिगत जल कम होता हँ क्योंकि

ü  वनों के अधिक होने के कारण अधिक वर्षा की संभावना होती हँ तथा वन सम्पदा में पानी को रोकने क्षमता होती हँ ये अपनी जड़ो के माध्यम से पानी कों जमीन के अंदर पहुंचा देते है लेकिन आधुनिक काल में अपनी आवश्कता की आपूर्ति के लिए पेड़-पौधों को अधिक कटा गया हे और अधिक चरने के कारण भी अनउपजाऊ भूमि में वृद्धि हुई है इसीलिए वर्षा का पानी जमीन पर न रुक पाता हँ और न ही जड़ो के माध्यम से भूमि में जा पाता है इसी कारण भूमिगत जल में कमी आई है


वनों के संक्षरण की आवश्कता
वनों के संक्षरण की आवश्कता



वनों के संक्षरण की आवश्कता

ü  हमारे वन एक इस प्रकार के जैवमंडल का निर्माण करते है जिसमें बहुत से जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और अन्य सूक्ष्म-जीवों का आवास होता है ये वन ही होते हँ जो दूसरों के रख रखाव में सहायक होते है जैसे मिटटी, जल और वायु ! इसीलिए वनों के संक्षरण को कई बार हम मिटटी, जल और वायु का संक्षरण भी कहते हे, ये सभी मिलकर जलवायु संतुलन बनाए रखते है वनों के काटने से जलवायु संतुलन बिगड़ जाता हे और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है


वन्य जीवों का आवास –

ü  हमारे जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों का अपने रहने के स्थान से गहरा लगाव होता हे और कई जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों किसी खास वातावरण में ही रहना पसंद करते है या जीवित रह सकते हे जैसे ब्राजील के वर्षा वन सुनहरी शेर का प्राकृतिक आवास है हमारे सुंदर वनों में शेर का होना आदि! इन के प्राकृतिक आवास के खत्म होने से इनके जीवन पर संकट आ जाता हे और विलुप्त हो जाते है
ü   

कंचनजंघा राष्टीय उद्यान जो कई विलुप्त जीवों का आश्रय है –
                                
ü  मार्बल बिल्ली, बर्फीला तेंदुआ, काला भालू, बदली तेंदुआ, लाल पांडा, मिस्क हिरन और सिरोड़ा हरा कबूतर आदि


पारीतंत्र –

ü  जैविक घटकों (भोतिक पर्यावरण) और जैविक घटक के आपसी सहयोग से बने तंत्र को पारीतंत्र कहते है! तथा दोनों ही एक दूसरे से प्रभावित होते है! ये प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकता हें यह अस्थाई खेती या स्थाई जंगल हो सकता हें अत: पारीतंत्र हमारे पर्यावरण की एक कार्यात्मक और सं-रचनात्मक इकाई है

   

science 8th class science वन हमारी प्राकृतिक विरासत राष्टीय उद्यान या पार्को

वन हमारी प्राकृतिक विरासत हँ और इसके विभिन्न महत्व है जैसे

ü  वायुमंडल में संतुलन – आक्सीजन और CO2 के मध्य
ü  अधिक वर्षा और भूमि-गत जल की आपूर्ति के लिए
ü बाढ़ो को रोकना और मिटटी के कटाव को कम करना
ü  जलवायु नियन्त्रण करना
ü  जडीबुटी और दवाईयों के लिए
ü  यह कई उधोग के लिए कच्चे-माल का स्रोत जैसे लकड़ी, रबड़ और शहद आदि
ü  यह बहुत से जीव-जन्तुओं के रहने का स्थान होता है
ü  यह आदिवासियों के जीवन यापन का सहारा होता है


 वन हमारी प्राकृतिक विरासत
 वन हमारी प्राकृतिक विरासत


वनों को संरक्षण करने के उपाय –

ü  अधिक मात्रा में पेड़-पौधों का लगाना
ü  वनों के काटने को कम करना और पशुओं के अधिक चरने पर रोक लगाना
ü  अधिक मात्रा में फसल उगाना
ü  खदानों और उधोगों के लिए नियम


हमारे राष्टीय उद्यान या पार्को के नाम –

ü  बमु धाटा राष्टीय पार्क – कर्नाटक
ü  संजय राष्टीय पार्क   - महाराष्ट्र
ü  कार्बेट राष्टीय पार्क    - उतराखंड
ü  परियार राष्टीय पार्क  - केरल
ü  कान्हा राष्टीय पार्क   - मध्यप्रदेश


science 8th class science मिटटी का कटना अपरदन संरक्षण

मिटटी का कटना या मृदा के अपरदन के कारण

ü  विभिन्न ऋतुओं में भूमि की उपरी परत का कमजोर होना और हवा के साथ उड़ना
ü  पेड़-पौधों का अधिक मात्रा में काटना और फिर उपरी सतह का कमजोर होना  
ü  नदी और नालों द्वारा मिटटी को काटना
ü  खुले पड़े स्थानों पर
ü  शहरीकरण के कारण पेड़-पौधों का काटना
ü  बिलों में रहने वाले जीव-जन्तुओं द्वारा मिटटी की उपरी सतह को कमजोर करना

मृदा के अपरदन या मिटटी को कटने से बचाने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधों को लगाना चाहिए ताकि पेड़-पौधों की जड़े मिटटी के कणों का जकड़-कर रख सके और ये कण हवा या पानी के साथ न जा सके, इस तरह हम मिटटी का कटना या मृदा के अपरदन को रोक सकते है


मिटटी का कटना अपरदन संरक्षण
मिटटी का कटना अपरदन संरक्षण



मिटटी के कटाव को रोकना या मिटटी का संरक्षण

ü  अधिक मात्रा में पेड़-पौधों का लगाना
ü  वनों के काटने को कम करना और पशुओं के अधिक चरने पर रोक लगाना
ü  अधिक मात्रा में फसल उगाना ताकि मिटटी के कटाव को रोका जा सके
ü  वर्षा के पानी को रोककर मिटटी को कटने से बचाना या खेतों की मेड़ो या बांध का निर्माण करना
ü  सिचाई में कम गति के पानी का प्रयोग करना
ü  पहाड़ो पर सीडी-दार खेतों का निर्माण करना


वन्य जीवन का आवश्कता –

ü  जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और अन्य सूक्ष्म-जीवों से हमें बहुत सी वस्तुओं की प्राप्ति होता है
ü  भोजन-श्रंखला पर प्रभाव नहीं पड़ता
ü  पर्यावरण संतुलन बना रहता है
ü  भविष्य के लिए इन्हें बनाए रखना
ü  भविष्य के लिए जीन-बैंक का बनाना
ü  जीव-जन्तुओं से मनोरंजन भी किया जाता हँ

ü  हमारी प्राकृतिक विभिन्न लोगों को कुछ अलग या नया करने की प्रेरणा देती हँ जैसे कविताएँ लिखने के लिए और कलाकार को आदि 

science 8th class science जैव विविधता कागज़ बनाना

जैव विविधता के संरक्षण की आवश्कता

·      जैव विविधता से हमारा अभिप्राय उन सभी जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और अन्य सूक्ष्म-जीवों से हँ जो की एक विशेष क्षेत्र में पाए जाते है विभिन्न जीव-जन्तु अलग – 2 तरह का भोजन खाना पसंद करते हँ जैसे पांडा बैबो डंडी और कई भालू मास या सफेदे के पत्ते खाना पसंद करते है हमारे पक्षियों को दाना और हिरनों को हरी -घास खाना पसंद होता है इन विशेष क्षेत्र में सभी के लिए भोजन की आवश्कता की पूर्ति होती हँ और विभिन्न जीव-जन्तुओं की भोजन-श्रंखला पर प्रभाव नहीं पड़ता, इसीलिए सभी जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और अन्य सूक्ष्म-जीवों के संरक्षण के लिए विभिन्न जैव विविधता वाले विशेष क्षेत्र अति आवश्यक है!

·    हमारे जीव-जन्तुओं अब संरक्षण क्षेत्र में भी सुरक्षित नहीं रहते क्योंकि आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोग इन वनों को काटते रहते हँ और जीव-जन्तुओं का शिकार करते रहते है!

·    हमारी विभिन्न आदिवासी जातियां भी इन जंगलों पर निर्भर रहते है हमारे राष्टीय उद्यान सतपुड़ा में भी इस तरह के प्रमाण मिले हँ जहां पर आदिमानव ने अपना रहने का स्थान बनाया! उनके आवास के प्रागैतिहासिक प्रमाण जैसे मनुष्य का लड़ना और विभिन्न जीवों का शिकार करना, कई तरह के बजाने के यंत्र और लोगों का समहू में रहना आदि!


जैव विविधता का संरक्षण
जैव विविधता का संरक्षण

कागज़ का निर्माण या बनाना –

·    हम सभी जानते हँ की काग़ज हमारे लिए कितना जरूरी हँ क्योंकि इस पर हम अपनी आवश्कता के अनुसार लिखते हँ और प्रयोग करते है परन्तु इसके निर्माण या कागज़ को बनाने के लिए पेड़ो को काटना पड़ता है 1 टन कागज़ के लिए 16 से 18 पेड़ पौधों को काटना पड़ता है इस लिए हमें काग़ज को बचाना चाहिए और इसके पुन-प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए, हम काग़ज का 5-7 बार पुन-प्रयोग कर सकते है